बदलाव की धुरी नहीं टिक पा रहा है मीणा समाज

समाज, एक से अधिक लोगो का समुदाय जिसमें सभी व्यक्ति मानवीय क्रियाकलाप करते है। मानवीय क्रियाकलाप मै आचरण, सामाजिक सुरक्षा और निर्वाह आदि की क्रियाए सम्मिलित होती है । समाज लोगों का ऐसा समूह होता है जो कि अपने अंदर के लोगों के मुकाबले अन्य समूहों से काफी कम मेलजोल रखता है। किसी समाज के अंतर्गत आने वाले व्यक्ति एक दूसरे के प्रति परस्पर स्नेह तथा सहृदयता का भाव रखते हैं। दुनिया के सभी समाज अपनी एक अलग पहचान बनाते हुए अलग-अलग रस्मों-रिवाज़ों का पालन करते हैं। लेकिन मीणा समाज को जो रूप मैंने 18 जनवरी को देखा उससे निश्चित रूप से समाज के नौजवानों को दुःख हुआ होगा।

पिछली कुछ शताब्दियों के दौरान भारत में सामाजिक-आर्थिक-राजनीतिक परिवर्तन लाने में मीणा समाज की क्रांतिकारी भूमिका रही थी, लेकिन अब उसी मीणा समाज ने परिवर्तन के प्रबल विरोधी का चरित्र अख्तियार कर लिया है। वह प्रतिक्रियावादी हो गया है, वह आज ऐसे किसी भी बदलाव के पक्ष में तत्पर नहीं होता जो उसकी मौजूदा स्थिति के लिए असुविधाजनक हो। उसने परंपरागत कुलीन वर्ग को सामाजिक-आर्थिक-राजनीतिक सत्ता से बेदखल कर उस पर अपनी पकड़ मजबूत कर ली है और अब वह समाज का सबसे महत्वपूर्ण वर्ग बन गया है। सभी प्रकार के बौद्धिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक विमर्श के केंद्र में होने लायक स्थिति होने का बाद भी वह उससे दूर है। जबकि समाज, राष्ट्र और व्यवस्था-तंत्र की नियति काफी हद तक मीणा समाज प्रभावित करता है। भारत में जिस मीणा समाज का विकास हुआ है, उसका मौजूदा चरित्र विरोधाभासों और विडंबनाओं से युक्त है। वह एक तरफ यथास्थितिवाद का पक्षधर है और दूसरी तरफ वह पश्चिमोन्मुख भी है। भारतीय मीणा समाज ने अन्य समाजों की तरह प्रगतिशील उदारवादी सोच तो अपना ली, लेकिन आर्थिक क्रांति के अभाव में उसकी प्रगतिशीलता एकांगी और अधूरी ही बनी रही। अन्य समाज जेसे कायस्थ, ब्राम्हण, वेश्य और अन्य श्रेष्ठी समाज में औद्योगिक क्रांति और वैचारिक क्रांति—दोनों साथ-साथ हुई थी। आधुनिक लोकतांत्रिक राजनीतिक व्यवस्था का उदय भी उसके साथ ही हुआ। लेकिन मीणा समाज में यह सब एक साथ नहीं हो सका। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद लोकतांत्रिक राजनीतिक व्यवस्था तो लागू हो गई, लेकिन आर्थिक क्रांति का सपना अधूरा ही रहा। हमारे समाज में व्याप्त अशिक्षा और महिलाओं की उपेक्षित स्थिति गतिशीलता और सामाजिक गतिशीलता की राह में बहुत बड़ी बाधा रही है।
आज के मीणा समाज के चरित्र और आचार-व्यवहार को देखते हुए ऐसा लगता है कि 1835 ई. में लॉर्ड मैकाले ने रक्त और रंग की दृष्टि से भारतीय मगर रुचि, विचार, आचरण तथा बुद्धि की दृष्टि से अंग्रेज व्यक्तियों का जो वर्ग तैयार करने का उद्देश्य घोषित किया था, उस दिशा में वह काफी हद तक सफल रहा। विडंबना की बात यह है कि मीणा समाज में इच्छाए तो बहुत तेजी से बड़ी हैं
और 1990 के दशक में भूमंडलीकरण का दौर शुरु होने के बाद वह अपने मीणापन को ही पूरी तरह से भूल जाने की कोशिश में जुट गया है। मीणा समाज ने कई आंदोलन में केन्द्रीय भूमिका निभाई थी और जिसने स्वतंत्रता संग्राम के दौरान मानवतावादी नैतिक दृष्टिकोण और सत्य एवं अहिंसा के आदर्शों के अनुरूप व्यापक सामाजिक एवं राष्ट्रीय हितों के लिए त्याग और परिवर्तनवादी संघर्ष का रास्ता अपनाया था, आज वह इतना अवसरवादी, स्वार्थी, भ्रष्टाचार में लिप्त और यथास्थितिवादी कैसे होता जा रहा है? उसके नैतिक मूल्य कहाँ और क्यों लुप्त हो गए? एक वजह तो इसकी यह है कि अन्य समाजों के बड़ते कद के बीच मीणा समाज को खुद अपनी पराधीनता और बदहाली विशेष रूप से खलती थी, क्योंकि वह आधुनिक शिक्षा, सभ्यता और विचारों के संपर्क में आ रहा था और उसके प्रभाव से वह शासक वर्ग की तुलना में अपनी हीन स्थिति के कारणों को समझने लगा था। वह यह भी देख रहा था कि भारतीय समाज के उच्च वर्ग यानी जमींदार, भूस्वामी और राजे-महाराजाओं के हित विदेशी शासक के हितों के साथ मेल खाते हैं और इसीलिए वे उसी का साथ दे रहे हैं। मीणा समाज इस स्थिति को बदलना चाहता था और खुद सत्ता हासिल करना चाहता था। इसलिए महान राष्ट्रवादी नेताओं के नेतृत्व में उसने राष्ट्रीय आंदोलन में तन-मन-धन से भाग लिया। लेकिन स्वतंत्रता हासिल होने के बाद स्थिति पहले जैसी नहीं रही। अब खुद मीणा समाज के नेता ही सत्ता पर आसीन थे। इन नेताओं ने उन आदर्शों और नैतिक मूल्यों से अपना पल्ला झाड़ लिया, जो हमने आंदोलन के दौरान हासिल किए थे। उनका लक्ष्य येन केन प्रकारेन सत्ता में बने रहना हो गया। वे उपेक्षित आम मीणा समाज की चिंताओं से अधिकाधिक दूर होते गए।
पूरे देश में आरक्षण मिलने के बाद मीणा समाज मध्य प्रदेश को शेष भारत के मीणा समाज ने भुला दिया और सबकुछ होते हुए भी मध्य प्रदेश मीणा समाज उपेक्षित
है। aajadi के बाद से ही मीणा समाज को कभी सही मार्गदर्शन नहीं मिल सका। सरकार ने राष्ट्र निर्माण में शिक्षा के केन्द्रीय महत्व को नहीं समझा। देश के एक बड़े भूभाग में भूमि सुधार प्रक्रिया विफल रही। सामाजिक न्याय के नारों के बल पर राजनीति करने वाले नेताओं ने भी सत्ता में लंबे समय तक रहने के बावजूद आम मीणा समाज की वास्तविक स्थिति को सुधारने का कोई प्रयत्न नहीं किया और वे उसे गुमराह करते रहे। कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी की राजनीति तो हमेशा बुर्जुआ हितों को लेकर ही चलती रही है। अपने नेताओं के छद्म करिश्मे के बल पर आम जनता का भाग्य बदल देने का झांसा देने वाली ये पार्टियाँ कभी मीणा समाज की स्थिति में वास्तविक सुधार लाने की बात नहीं सोचतीं।
जाहिर है कि मीणा समाज ने सामाजिक परिवर्तन की धुरी बनने की अपनी क्षमता अब काफी हद तक खो दी है। आज उसकी शक्ति को संगठित करने और इसे नैतिक प्रेरणा से संचालित करने वाला कोई समर्थ नेतृत्व उसके पास नहीं है। राजनीतिज्ञों और नवसाम्राज्यवादी ताकतों के साझे षड्यंत्र का वह शिकार बनकर रह गया है। वह अपने सामूहिक वर्गगत हितों को छोड़कर व्यक्तिवादी प्रतिस्पर्धा और अपने निजी स्वार्थों को पूरा करने की होड़ में शामिल हो गया है।

टिप्पणियाँ

Unknown ने कहा…
ye bat sahi hai ki M.P. meena samaj hamesha hi upekshit raha hai ye bade durbhagya ki bat hi kuch sal pehle tak desh ka sabse bad rajya hone ke bawjud bhi yanha ke meenao ki kisi ne sudh nahi li.hume sheersh netratw to sahi mila par wo samaj ke kam nahi aa paya. ab 1 nayi kranti ki jarurat hai jo ki yuva hi kar payega. ye bahut jald hona chahiye.is upeksha se sabse jayada yuva hi pidit hai.ab waqt aa gaya hai jab yuva ko apni takat dikhani hai.taki desh aur duniya ko pata chale ki "YUVA MEENA" ke kya shakti hai.un sabhi adhure karyo ko pura karna ka beda ab YUVA hi uthayenge.
"JAI MEENESH"
Ram G Meena ने कहा…
ye baat bilkul sahi hai ki Meena samaj upekshit raha hai lekin en sab ke peechhe main samajhta hun ki sabse bada karan(reason) khudh meena samaj ke log hi hai,hamre samaj ke log ek dusre ko aage badhane ki bajaye ek dusre ki taang khichne me jyada energy kharch karte hai,wo na to khud aage badte hai aur na hi dusre ko aage badne dete hai....jab tak hamara samaj sangthit(unite)nahi hoga hum kisi bhi kshetra me aage nahi bad payenge....so please be unite and dont wait that someone will take the step u have to take the first step....agar main aage aane me aapki koi help kar pau to mujhe khushi hogi so u can call me any time....09993045401
बेनामी ने कहा…
g aapki baato se me sahmat hu aaj hamar samaaj jis dor se gujar rha he .... usmee dekha jaye to bhhut he picchdaa huaa samaaj he aaj bhi hamre yhaa garmin chetr ki ladkiyaa padhaai se vanchit he unhee padayaa nhi ja rhaa es bat ka ek jeeta jagta sabuut hu me...

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