एक खुला पत्र छदम लोगों के नाम

प्रिय मीणा बंधुओं

जैसा आप सभी को पता है विगत 10 अक्टूबर को मीना समाज सेवा संघठन के कार्यक्रम में क्या हुआ है कथित रूप से मीणा समाज शक्ति संघठन का विलय सेवा संघठन में ...... ये सब जोर शोर से प्रचारित किया जा रहा है

जिस प्रकार से इस पूरे प्रकरण में साजिश / षड़यंत्र हुआ है वो किसी से छुपा नहीं है क्योंकि कोई भी सामाजिक संघठन किसी एक परिबार और 4-5 लोगो के द्वारा नहीं चलाया जाता है इसमें जुड़े सभी लोग संघठन के निर्णय की प्रक्रिया में भाग लेते है चूँकि शक्ति संघठन मध्यप्रदेश के सभी जिलो में कार्यरत है तो विलय सिर्फ भोपाल में बैठकर नहीं किया जा सकता है ये शक्ति संघठन के नियमाबली में भी उल्लेखित है

हम लोग युवा है, उम्र में छोटे है, जिंदगी का कम अनुभव है,      लेकिन ये क्या जो बड़े है, जिन्हें बहुत ज्यादा अनुभब है, जिन लोगो अपनी जिंदगी सेवा में गुजार दी, जैसा वो बोलते है, की उन्हें समाज के मनोदिशा का पूरा पूरा ज्ञान है, जिनके बाल धुप में सफ़ेद नहीं हुए है जिंदगी के धरातल पर कार्य करते करते हुए है .....ये समझ के परे है की .उन्हें ये ज्ञान ना हो / आभास ना हो उनके द्वारा एक  आदमी को बंद कमरे में सात सात लोगो द्वारा बरगलाने/बहकाने/साजिश में शामिल कर विलय की घोषणा के क्या परिणाम सामने आयेंगे ....ये तथाकथित समझदार और अनुभवी लोगों को यह मालूम ना हो क्या इस प्रकार कोई एक आदमी संघठन का विलय कर सकता है और पूरा संघठन इस विलय को मानेगा की नहीं  और तो और ऐसे समझदार लोगो के संघठन ने इस साजिश /षड़यंत्र को अपनी जीत का श्रेय देने में जरा भी देर नहीं करी ....कार्यक्रम के बाद ही ये अभिमानी लोगो ने शक्ति संघठन के लोगो के खिलाफ नारे लगाये और धक्का मुक्की की ....वाह भाई इतनी बड़ी विजय ....हर्ष उलास /जश्न में कंही देर न हो जाये , एक परिवार के लोगो ने इसमें महति भूमिका निभाई

इस पूरी घटना में श्री राम सिंह मीणा PRO साब का  दो तरफा नुकसान हुआ है सेवा बालो ने उनसे अनर्गल घोषणा करा ली जो उनके अधिकार क्षेत्र में थी ही नहीं अध्यक्ष होने का यह कतई मतलब नहीं होता है की सम्पूर्ण शक्तियां उनमे समाहित है  और दूसरी तरफ शक्ति संघठन के सभी कार्यकर्ता उनसे नाराज और दुखी हो गये और उनको तुरंत प्रभाव से निष्कासित कर दिया ये तो वो कहावत हो गयी की ना घर के रहे ना बाहर के और सेवा वाले भलिभातीं जानते थे की शक्ति संघठन इस निर्णय को बगैर बातचीत के मान्य नहीं करेगा लेकिन उन्हें तो तात्कालिक जीत चाहिए थी और आत्म्मुघ्ध हो गये  

इसमें श्री राम सिंह मीणा जी को  निर्दोष/बेचारा बताने की कोशिश नहीं कर रहे है क्योंकि उनके द्वारा जो कृत्य किया गया है उसने एक संघठन के हजारों लोगो भावनाओं के साथ खिलवाड़ हुआ है उनकी   वर्षों की मेहनत पर पानी फेरने की कोशिश की गयी है   और भविष्य में जनहित के मुद्दों पर साथ लड़ने की सम्भावना को भी बिनष्ट किया है और शक्ति संघठन को शीधे तौर पर धोखा दिया है क्योंकि  बगैर संघठन से  विचार बिमर्ष के विलय की घोषणा कर दी

इन पुरेधाओं को विलय भी कराना  था तो क्या ये रास्ता था की एक आदमी को बहला फुसला लो, काम हो गया  इसके लिए पहले दोनों संघठन के पदाधिकारियों की मीटिंग होती है दोनों संघठन के विवादों का क्या है, इस पर चर्चा होती मतभेद/मनभेद पर चर्चा होती फिर दोनों संघठन अपनी जिला इकाई से चर्चा करते और उनके द्वारा बताये मुद्दों पर चर्चा के बाद विलय की बात बनती है , ऐसे थोड़े होता है,......... संघठन किसी व्यक्ति की बपोती तो होता नहीं है जिसे सभी लोगो ने अपनी मेहनत के दम पर यंहा तक पहुचाया है    

इन सब घटनाओं से भविष्य में समान सामाजिक मुद्दों पर एक साथ, एक मंच से संघर्ष करने की जो उम्मींद थी वो भी पूर्ण रूप से धूमिल हो गयी और दोनों संघठन दो ध्रुवो की तरह हो गये और इन दोनों संघठन से जुड़े लोगों में भी एक साफ साफ दरार बनने की शुरुआत हो गयी है  इसके लिए कौन जिम्मेदार है ,  क्या इसका अनुमान ये तथाकथित  बुद्धिजीवी  नहीं लगा पाए लेकिन कुछ लोगो का  उद्देश्य कभी समाज सेवा करना रहा ही  नहीं है ये सिर्फ समाज को सत्ताप्राप्ति/धनप्राप्ति/चंदाप्राप्ति का शाधन मानते आये है इसका जवलन्त उधाहरण वो मीणा भवन का जर्जर/जीर्ण शीर्ण हो चुका एकमात्र बचा कमरा

आप सभी ने भोपाल टाकीज पर मीणा भवन देखा ही होगा जिसमे शासन ने एक पूरी फ्लोर मीणा समाज को दी थी जिसके लिए समाज के तथाकथित हितेषी लोगों ने जी जान लगाकर महीनों की अपार महनत कर चंदा इकठ्ठा किया जो की लाखों में था इसके अलाबा बनाने के लिए पूरी फ्लोर की दुकान बेच दी गयीं और काफी सारी दुकान इन समाज के टेकेदार लोगों ने ही खरीद ली थी

कितना चंदा उस समय इकट्ठा किया, कितने में दुकान बिकी, किसको दुकान बेचीं, कितना पैसा भवन निर्माण में आया और वो कौनसी परिस्थिति थी की मीणा भवन में एक छोटा सा ही कमरा शेष बचा है जिस पर भी नगर निगम का लाखों रूपये अभी बकाया है ......ये सब सबाल के जवाब तो मध्यप्रदेश में कोई भी ब्यक्ति नहीं है जिसने मांगे हो और उनको इनका जवाब मिला हो उन्हें समाज विरोधी करार देकर बाहर का रास्ता दिखा ना दिया गया हो,   इन महान समाज सेवकों से  सेवा संघठन में रहते हुए किसी में इतनी हिम्मत नहीं है जो इन सवालो के जवाब मांग सकें   

अब बात नये भवन के लिए आवंटित जमीन के बारे सेवा संघठन द्वारा फैलाई गयी दिग्भ्रांतियां/दुष्प्रचार की भी कर लेते है क्योंकि वो जमीन सेवा संघठन के नाम से आवंटित हुई है इसमें शक्ति संघठन ने कभी इंकार भी नहीं किया है आप सभी भली भातिं जानते है की वो जमीन का आवंटन श्री संतोष मीणा झागर बालों के अथक प्रयाश से संभव हुआ है जिस समय जमीन की घोषणा माननीय मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा की गयी थी उस समय इस कार्य के लिए संतोष मीणा जी ने ही जी तोड़ मेहनत की थी क्योंकि वो सेवा संघठन से जुड़े थे जमीन के घोषणा होने मात्र से ही जमीन नहीं मिल जाती है उस जमीन के लिए दांगी समाज/पाटीदार समाज भी लगे थे उनके  विरोध को दरकिनार करवा कर सारे दस्तावेज श्री मेहरवान सिंह रावत जी को साथ में लेकर लगातार 6 महीने लगे रहने के उपरांत उस जमीन का नामान्तरण सेवा संघठन के नाम पर हुआ लेकिन इसके बाद भी ये खुश नहीं हुए क्योंकि वो नहीं चाहते थे जमीन होसंगाबाद रोड पर  मिले वो चाहते थे जमीन करोंद बाले इलाके में मिले

और लगातार 3 वर्ष जमीन आवंटन के बाद भी सेवा बालो ने उस पर कोई कार्य नहीं किया और आप सब जानते हो की आवंटित जमीन पर 3 वर्ष तक कोई कार्य ना हो तो जमीन शासन को बापिस हस्तारिंत हो जाती है और उसकी प्रक्रिया भी चालू हो गयी थी और वो जमीन मिसरोद पुलिस के लिए शासन द्वारा आवंटित कर दी गयी और उसमे मिसरोद पुलिस ने  अपना  बोर्ड भी लगा दिया था जिसका सेवा संघठन बालों ने कोई विरोध नहीं  किया और 15-20 दिन देखने के बाद शक्ति संघठन को लगा की समाज की जमीन ऐसे ही नहीं जाना चाहिए तो शक्ति संघठन ने सेवा वालों से बात की तो उनका जवाब आया जाने दो दूसरी आवंटित करा लेंगे चूँकि इस जमीन के आवंटन से नामांतरण तक प्रक्रिया में पूर्व विधायक श्री मेहरवान सिंह रावत और संतोष मीणा झागर को परेशांन होते हुए शक्ति संघठन ने नजदीक से देखा है इसीकारण शक्ति संघठन ने श्री रावत जी एवं श्री संतोष जी से बात करके DGP पुलिस विभाग से मिलकर उस जमीन का पुलिस द्वारा अतिक्रमण ख़त्म करवाया जिसके प्रमाण शक्ति संघठन के पास है और जमीन बचाने के लिए तुरंत फुरंत में शिलान्यास कराया गया इसके लिए सभी सेवा संघठन वालों के घर पर आमन्त्रित करने गये ताकि उसके निर्माण में वाधा ना आये      उसके बाद भी शक्ति संघठन ने कभी उस जमीन पर अपनी दावेदारी नहीं की जब ये लोगो ने कुछ नहीं किया तो श्री मेहरवान सिंह रावत जी के निर्देश पर उस जमीन पर निर्माण कार्य श्री संतोष मीणा झागर एवं अन्य कई सामाजिक बंधुओ द्वारा किये जाने लगा तब अचानक सेवा संघठन की आँख खुली और संतोष मीणा एवं शक्ति संघठन के पदाधिकारियों पर कानूनी नोटिस एवं पुलिस कार्यवाही की धमकी दी गयी परन्तु जमीन आवंटन से नामांतरण तक में   सेवा वालों ने संतोष जी की  कोई मदद नहीं की थी इसलिए इनके पास कोई कागजात थे नहीं थे इसबजह से सेवा बालों ने संतोष जी को मीटिंग के लिए बुलाया और वो कागज प्राप्त किये  और अलावा आपके ध्यान में यह बताना भी जरुरी है की  हॉस्टल निर्माण की जगह उपस्थित मजदूर पर एकबार हमला भी हुआ है जिसमे एक गरीव मजदूर को वहुत ही गंभीर चोट आई एवं हाथ में फ्रैक्चर हो गया ये हमला किसके द्वारा कराया गया ये अभी तक ज्ञात नहीं हो पाया

इन सब के बाबजूद भी शक्ति संघठन ने कभी भी उस हॉस्टल पर अपना होने का  दावा नहीं किया है शक्ति संघठन का मानना प्रारंभ से ही ये रहा है हॉस्टल निर्माण हो और उसका हस्र (रिजल्ट) मीणा भवन जैसा कभी न हो क्या शक्ति संघठन के सदस्य मीणा होने के नाते इतना भी नहीं सोच सकते और रहा भवन निर्माण का सवाल तो कोई मदद करें ना करें उस स्थान पर भवन तो बनेगा ही उसे समाजिक संघठन  से इतर जाकर समाज खुद बना लेगा

हम सेवा वालों  से यह अपेक्षा करते है की ऐसे कुचक्रों से किसी संघठन को ख़त्म नहीं किया जा सकता आपके  द्वारा हर जगह ये जहर फैलाया जाता रहा है शक्ति वालों ने एक संघठन बनाकर समाज को बाटने का कार्य किया है तो आपको याद दिला दें की हमारे संघठन के पहले भी आपके लोगो द्वारा ही समाज के कई संघठन बनाये गये जिसमे आपके संघठन के पदाधिकारी ही शामिल है , आपके लोगो  द्वारा ही  कई संस्था पंजीकृत की गयी तब आप लोगो के बोल नहीं फूटे क्योंकि उन्हें सफलता नहीं मिली इसलिए ना ...............तो महानुभावों,    किसी को सफलता मिलती है क्योंकि वो निस्वार्थ रूप से मेहनत करता है जो हमने की है

और सेवा से शक्ति के बनने के लिए कौन जिम्मेदार है हम उनमे पड़ना नहीं चाहते है आप लोग अपना कार्य करें और शक्ति संघठन को अपना कार्य करने दे वैसे भी  हमारे आपके जैसे राजनैतिक / आर्थिक मुद्दे नहीं है और हमारे संघठन में सभी कामकाजी लोग है फ्री लोग हमारे संघठन में नहीं है और हमारे संघठन के “शिक्षा/रोजगार/सामाजिक एकता” और कई बुनियादी मुद्दे है जिनसे आपको पता नहीं सरोकार है की नहीं....... तो आप से गुजारिश है की ऐसे विलय बाले  षड्यंत्र रचना बंद कर दे

मीणा समाज शक्ति संगठन, मध्यप्रदेश

टिप्पणियाँ

बेनामी ने कहा…
कुछ लोग कुत्ते की पूँछ की तरह होते हैं।

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