शक्ति संगठन के अध्यक्षों के बारे में

नमस्कार युवा साथियों 👉🏻 जैसा कि आप जानते हैं कि मीणा समाज शक्ति संगठन आने वाली 8 नवंबर को अपने छह वर्ष पूर्ण कर 9 नवंबर को सातवे वर्ष में कदम रखेगा। साथियों शक्ति संगठन ने अपने गठन के पहले दिन से ही तय किया था कि हम हर वो काम करेंगे, जिससे इस समाज के युवाओं को ताकत मिले और वे सशक्त बने। इस दिशा में काम किया भी है। इसीलिए इस संगठन की कमान हमेशा ही ऐसे लोगों के हाथ में दी है जो राजनीति से हटकर दूसरे क्षेत्रों में काम कर रहे हैं। यदि वे राजनीति से भी हैं तो पहले व्यवसायी हैं।

👉जैसे कि हमारे डॉ. जीवन सिंह मीणा जो कि वर्तमान में गांधी मेडिकल कॉलेज में सहायक प्राध्यापक हैं और पूर्व में जूडा के लगातार प्रदेश अध्यक्ष रहे हैं। ऐसे ज्ञानवान व्यक्ति को हमने पहला अध्यक्ष चुना।

👉दूसरे अध्यक्ष चुने गए हरि सिंह मीणा जो कि एक राजनीतिज्ञ के रूप में जाने जाते हैं। लेकिन असलियत में एक व्यवसायी हैं और आज मंडीदीप में उनकी दो फैक्ट्री में सैंकड़ों लोग रोजगार पा रहे हैं। वहीं उन्न्त खेती करके उन्होंने समाज का नाम रोशन किया है।

👉🏻और अब तीसरे अध्यक्ष हैं राम गोपाल मीणा जो कि एक व्यवसायी है। अपनी कम बोलने और ज्यादा काम करने की आदत के कारण इन्हें लोग कम जानते हैं। कई लोग इनको प्रदेशाध्यक्ष बनाए जाने पर भी सवाल खड़े करते हैं। लेकिन मैं आपकाे बता दूं कि ऐसे व्यक्ति के हाथ में कमान होने का अर्थ है कि संगठन की साफ-सुथरी छवि। पेशे से बैंकिंग व्यवव्साय में काम करने वाले राम गोपाल मीणा मप्र-छत्तीसगढ़ में कारोबार करते हैं, लेकिन हमेशा लो प्रोफाइल रहते हैं। फेसबुक के मार्ग जुकरबर्ग और एप्पल के स्टीव जॉब्स की की तरह एक ही टी-शर्ट में रहने वाले रामगोपाल काम के मामले में भी कुछ ऐसे ही धुन के पक्के हैं। 
👉🏻यह बात इसलिए बता रहा हूं कि हमारी भविष्य की तस्वीर साफ है। हम समाज के युवाओं को उन्नत खेती के साथ उद्योग के क्षेत्र में अग्रणी बनाना चाहते हैं। हमारा मिशन और विजन एकदम साफ हैं। जो हमारे साथ हैं उनके लिए संगठन हमेशा तत्पर है।
हमारा मूलमंत्र है शिक्षा, संगठन और विकास। 
शिक्षित करने के लिए व्यक्तिगत प्रयासों से हम भोपाल में बच्चों के ठहरने की नि:शुल्क व्यवस्था कर रहे हैं तो वहीं संगठन को लगातार सक्रिय रखकर समाज के ही अन्य संगठनों को भी सक्रिय कर रखा है। इससे पूरे प्रदेश में संदेश जा रहा है कि हमारी समाज बेहद सक्रिय है। इसका लाभ आने वाले समय में मिलेगा। किसे मिलेगा इससे हमें कोई मतलब नहीं, बस वो समाज का व्यक्ति होना चाहिए। नाम के पीछे मीणा, मारण या रावत लिखा होना चाहिए। 
दोस्तों याद रखिए कि हमें आदिवासी होने का दर्जा कभी नहीं मिलने वाला और जो ऐसा बोलते हैं वे आपके साथ छलावा करेंगे। क्योंकि बीते 30 साल से हम एक ही बात सुनते आ रहे हैं। 
मैं दुआ करता हूं कि वे मेरा दावा झूठा सिद्ध कर दे तो मैं उनकी गुलामी करुंगा। और यदि ऐसा नहीं कर सकते हैं तो समाज के युवाओं को बरगलाने का काम बंद कर दें। 
मैंने यह लेख किसी की आलोचना करने के लिए नहीं लिखा है, बल्कि इसलिए लिखा है कि शक्ति संगठन की ऊर्जा से जुड़िए और समाज को आलोकित करिए। आने वाला समय हमारा होगा, लेकिन प्रैक्टिकल सोचिए, प्रैक्टिकल रहिए और प्रैक्टिकल काम करिए। अब जबकि स्थापना दिवस में केवल चार दिन शेष रह गए हैं तो मैं आपको देश के कुछ ऐसे नौजवानों की कहानी शेयर करुंगा, जिन्होंने नौकरी को तिलांजलि देकर अपना व्यवसाय मेंमुकाम बनाया।
जय मीनेष, जय भारत
आपका

भीम सिंह सीहरा
एक पत्रकार, लेखक, ब्लॉगर, सोशल वर्कर, एक्टिविस्ट एंड आपका भाई।

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