उनकी चंदाखोरी की आदत और चंदे की हकीकत
आओ सुनाऊं तुम्हें चंदे लेने की कहानी …
नमस्कार दोस्तों
लीजिए फिर हाजिर हैं आपको सोचने पर विवश कर देने वाले सवालों के साथ। “शक्ति संगठन” समाज को जागरुक रखने के लिए लगातार मुहिम चलाए हुए हैं। आपको बता दें कि ठीक एक वर्ष पहले मीणा समाज “शक्ति संगठन” को समाप्त करने के लिए एक षडयंत्र रचा गया था। इस घटना से सबक लेकर “शक्ति संगठन” ने कई सारे आमूल-चूल परिवर्तन किए। लेकिन काम यथावत जारी रहा। फर्क केवल इतना आया कि “शक्ति संगठन” ने पहले काम किया और फिर उसको जाहिर किया। “शक्ति संगठन” यहां आपको बता चले कि प्रदेश में “मिशन-2018” को बिगुल सबसे पहले हमने ही फूंका था और उस पर काम भी कर रहे हैं, लेकिन ढिंढोरा नहीं पीट रहे। लेकिन समाज को जागरुक रखना और करना “शक्ति संगठन” का प्रथम कर्त्तव्य है, इसलिए हम लगातार ऐसे मुद्दों को “शक्ति संगठन” के ब्लॉग meenasamajshaktisangathna.blogspot.in के जरिए आप तक पहुंचाते रहेंगे, जिससे समाज के व्यक्ति ठगे जाने से बचे रह सकें। आज “शक्ति संगठन” आपको ऐसी कुछ स्कीमों के बारे में बता रहा है, जिनकी नाम से समाज का ठेका लेने वाले फुरसतिए लोग चंदा उगाही का काम करते हैं। यहां यह भी बता दें कि कुछ लोग दावा करते हैं कि अपनी नौैकरियों से इस्तीफा देकर समाज की सेवा कर रहे हैं। “शक्ति संगठन” पूछना चाहता है कि रिटायरमेंट की उम्र में नौकरी छोड़कर सेवा करने वाली बात कुछ हजम नहीं होती। ये तो कुछ ऐसा हुआ कि जैसे “नौ सौ चूहे खाकर बिल्ली हज को चली”। दरअसल कुछ लोगों का समाज सेवा फुलटाइम बिजनेस है। अरे भाई सेवा और नाम करना है तो एएसपी अमृत मीना जैसा करिए जो इतनी व्यस्त नौकरी में रहकर न केवल समाज बल्कि गैर समाज की भी मदद करते हैं और सबसे अधिक सक्रिय रहते हैं। धन्यवाद।
ठेकेदारों की सेंटिंग हिला देने वाला - मीणा समाज “शक्ति संगठन” (Msss)
दूसरी किस्त...
उनकी चंदाखोरी की आदत और चंदे की हकीकत
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आप यह सब तो जानते हैं कि वर्ष 1980 के बाद से लेकर अब तक चंदा तो खूब सारा एकत्रित हुआ है। लेकिन आपको ढूंढने से भी ऐसा कुछ नहीं मिलेगा जो इस चंदे की मदद से बनाया गया हो या फिर कुछ निर्माण हुआ हो। उनकी चंदे लत कुछ ऐसी है कि बार-बार विरोध और जिल्लत सहने के बाद भी जाती ही नही है। अब हालिया मामला देखिए। भारत की सेना ने पाकिस्तान में जाकर सर्जिकल स्ट्राइक क्या किया कि कई लोगों का चंदा वसूली का मौसम आ गया। सेना को चंदा देने के नाम पर व्हाट्स एप, फेसबुक आदि पर खूब मैसेज वायरल किए गए। बताया गया कि अब वे सेना की मदद करना चाहते हैं, इसलिए जमकर दान करो। पहले उनकी जेब में दान दो और फिर वे उस चंदे को उनके नाम से सेना को दान करेंगे। क्या बात है। आपकी भावना देखकर आंखों में आंसू आ गए। अगर सच्चे मन से करते तो शायद “” भी आगे बढ़कर मदद करता। लेकिन यह तो चंदा वसूली का तरीका था। दोस्तों हकीकत यह है कि पूरे भारत में भारत सरकार ने ऐसा कोई अभियान शुरू नहीं किया और न ही कोई अकाउंट नंबर वायरल किया। एक भी इस देश की सरकार के किसी व्यक्ति ने नहीं कहा कि आप चंदा दीजिए। “” की एक्स आर्मी मेन के संगठन के पदाधिकारियों से चर्चा हुई। वह पूरी रिकॉर्डिंग “” पास मौजूद है। उन्होंने साफ तौर पर समझाया कि ऐसा कोई अकाउंट शुरू नहीं हुआ। लेकिन उनको तो मौका मिल गया। देश के दिल्ली, उप्र और बिहार राज्य में कई लोगों ने अपनी जेबें भर ली। इनकी भावना सेना के प्रति नहीं, बल्कि अपना अकाउंट भरने की है।
इसमें भी एक गजब की बात है कि हमारे व्यक्ति का नाम सबसे ऊपर आना चाहिए। उदाहरण के लिए हमने व्हाट्स एप पर वायरल हो रहे संदेश पर ध्यान दिया तो देखा कि एक शख्स जिसने 1100 रुपए की घोषणा की, उसका नाम सबसे ऊपर। वहीं जिसने 11 हजार रुपए दिए, उसका नाम नीचे। यानि यहां आपकी दानवीरता आपके द्वारा किए गए सहयोग या मदद देखकर तय नहीं होती, बल्कि आप संगठन के शीर्ष पदों पर विराजमान व्यक्तियों के रिश्तेदार हो कि नहीं यह देखकर तय होती है।
चंदा उगाही का एक मजेदार वाकया याद आता है। वो आप लोगोें के साथ शेयर करना चाहेंगे। यह बात जनवरी 2009 की है, जब लोकसभा चुनाव के टिकिट फाइनल किए जा रहे थे। तब कांग्रेस ने मुरैना लोकसभा से वरिष्ठ विधायक श्री रामनिवास रावत को सांसद की टिकिट दी। पूरा समाज प्रसन्न था और जमकर खुशियां मनाइ जा रही थी। समाज के ठेकेदारों ने हमीदिया रोड स्थित दो कमरे के सामाजिक भवन में बैठक बुलाई। इसी में दिसंबर 2008 में संपन्न विधानसभा चुनाव में विजयी रहे विधायकों का सम्मान भी रखा गया। कार्यक्रम में विजयी विधायक श्री रामनिवास रावत व श्री शिवनारायण मीना जी पधारें। इनका सम्मान तबके पूर्व विधायक (अब जीतकर दोबारा विधायक चुने गए हैं) श्री मेहरबान सिंह रावत ने किया। इसी कार्यक्रम में उस समय शासकीय सेवा में और अब शीर्ष पद पर विराजमान वरिष्ठ माननीय ने बेहद गुस्से के साथ घोषणा की कि समाज की तरफ से श्री रामनिवास रावत जी को एक करोड़ रुपए नगद सहयोग और पांच हजार आदमी मदद के लिए भेजे जाएंगे।
अब थोड़ा ध्यान से पढ़िएगा ……
इसी बीच सुझाव मांगे गए तो हमारे वर्तमान राष्ट्रीय संगठन महामंत्री भीम सिंह जो तब उनके लिए काम करते थे ने एक खड़े होकर सुझाव दिया। सुझाव यह था कि रामनिवास जी के नाम से एक अकाउंट खुलवा दिया जाए और समाज के प्रत्येक व्यक्ति को कॉल या एसएमएस के जरिए सीधे अकाउंट में राशि जमा करने के लिए निवेदन किया जाए। राशि जमा करके उसकी रसीद वह संगठन के पदाधिकारियों को दे दे। आपको क्या लग रहा है कि यह सुझाव मान लिया गया। नहीं साहब कैसे मान लेते। ऐसा करने से वाहवाही नहीं हो पाती। तत्काल इसका विरोध किया और कहा कि जिन्हें सहयोग करना है वे सीधे संगठन के पदाधिकारियों को राशि दें और वे उसे रामनिवास रावत जी तक पहुंचाएंगे। बाद में पता चला कि कुल एक लाख रुपए की राशि (इसमें दस प्रतिशत राशि यानि दस हजार रुपए msss के वर्तमान युवा राष्ट्रीय अध्यक्ष हरि सिंह जी की थी) रामनिवास जी तक पहुंचाई गई। इस बात को भी इतनी जगह कह दिया कि रामनिवास रावत जी को लगने लगा कि यह राशि लेकर उन्होंने गलती कर दी। खैर “शक्ति संगठन” को इससे क्या लेना-देना। “शक्ति संगठन” तो केवल प्रदेश के सामाजिक लोगों को लुटने-पिटने से बचाना चाहता है।
चंदे की एक और कहानी याद आ गई। बीते साल राजधानी में एक बड़ा भारी-भरकम आयोजन हुआ। नीमच के एक शख्स कई गाड़ियां भरकर लोग लेकर आए। ये शख्स नीमच के सम्मानित व्यक्ति हैं। इन्होंने स्वयं यह बात बताई कि भाईसाहब जब मैं लोग लेकर वहां पहुंचा और कार्यक्रम देखा तो हैरान रह गया। जो लोग अकेले आए थे, वे मंच पर थे और हम भीड़ में। जब ये शख्स शीर्ष लोगों से मिलने गए तो संगठन की एक महिला पदाधिकारी ने कहा कि आपने अब तक चंदा नहीं दिया। अब आप समझ जाइए इनकी चंदा-चाहत। ऐसे अनेकों किस्से हैं।
एक और उदाहरण देता हूं और कभी भी प्रेक्टिकल कर लेना।
आप एक गरीब घर से हैं या नहीं भी हैं। इनसे मदद मांगकर देखिए। बस फिर भगवान ही आपका मालिक है।
तो साथियों ढोल की पोल खोलने का यह सिलसिला जारी रहेगा …
“शक्ति संगठन” यूं ही आपको जागरुक करता रहेगा और अपना काम भी जारी रखेगा।
टिप्पणियाँ
धन्यवाद भाई साहब आपका समाज को जगरुक करने का काम सराहनीय है ।। जय मीनेष ।।