दुख रहित, कष्ट रहित जीवन की कल्पना भी न करें - भीम सिंह

मेरे प्यारे युवा साथियों और बहनों,
          जीवन में आप जो कुछ भी चुनते हैं, उसके साथ उससे जुड़ी मुश्किलें और सुविधाएं भी चुन लेते हैं। सुख और दुख साथ चले आते हैं। कभी आपने बिना कांटों वाली गुलाब की झाड़ी देखी है। यदि आप ऐसी कोई झाड़ी ढूंढने की कोशिश करोगे तो निराशा हाथ लगेगी। इसलिए एक दुख रहित, कष्ट रहित जीवन की कल्पना भी न करें। दरअसल ऐसा कोई जीवन होता ही नहीं है। मित्रों अब आप मैदान में हैं और परिवार, समाज सेवा देश सेवा का संकल्प ले चुके हैं। तो अब कष्ट झेलकर मजबूत होने के लिए तैयार हो जाइए। इसमें दो बातें समझनी होंगी। यदि आप केवल चहलकदमी यानि सिर्फ घूमना-फिरना चाहते हैं तो कोई समस्या नहीं, लेकिन आपको मैराथन या फिर किसी दौड़ प्रतियोगिता का हिस्सा बनना है तो मान लीजिए कि आपकी मुश्किलें शुरू हो गई। कई ऐसे मुद्दे आपके सामने खड़ हो जाएंगे, जिनके बारे में आपने कल्पना भी नहीं की होगी। यदि आपको सिर्फ अपना वजूद बनाए रखना है तो यकीन मानिए कोई मुश्किल नहीं होगी, लेकिन आप उच्च् स्तर का जीवन जीना चाहते हैं तो अपको बड़े मुद्दों से दो-चार होना ही पड़ेगा। यदि आप तराशे जाने के लिए तैयार हैं तो आप एक ऐसी मूर्ति बन जाएंगे, जिससे हर कोई पूजना चाहेगा। मित्रों समाज का काम करना भी कुछ ऐसा ही है। यहां भी आप नाम कमाने और शक्ति अर्जित करने की इच्छा से आए हैं तो आपको इससे ज्यादा देना पड़ेगा। याद रखिए शिखर पर पहुंचने का रास्ता आसान नहीं होता है। 
और हो भी क्यों आखिर इतिहास लिखने वालों और इतिहास रचने वालों में अंतर हो होता ही है।
यदि आप तपकर सोना बनने के लिए तैयार हैं तो MSSS आपके लिए है। हम केवल यह नहीं चाहते कि आप सिर्फ समाज में जाने जाए। हमारा मकसद है कि आपको पूरा भारत जाने और फिर पूरा विश्व जाने। आप दिन-दाेगुनी और रात चौगुनी तरक्की करें। इसी बात काे ध्यान में रखकर हमने अभ्यास वर्ग की शुरूआत की और ये वर्ष 2008 से नियमित होता आ रहा है। इस दौरान कई मुश्किलों का सामना करना पड़ा। अपने ही साथियों का भी विरोध झेला, लेकिन हर बार यह संपन्न हुआ। हमें इसका परिणाम मिलना शुरू हो गए। अभ्यास वर्ग में शामिज होने वाले युवाओं ने 14 नवंबर 2016 को भोपाल में सफल स्थापना दिवस का आयोजन कर हमें सही सिद्ध कर दिया। इन युवाओं ने बेहद कष्ट झेले, लेकिन कभी रुके नहीं। आप भी कष्ट झेलकर आगे बढ़ने के लिए तैयार रहिए।
आपको उस बच्चे की कहानी तो याद होगी, जिसने तितली के अंडे में तितली को बिना संघर्ष के बाहर निकालने में मदद की थी। परिणाम स्वरूप वह तितली मर गई, क्योंकि उसके पंख बिना संघर्ष के मजबूत नहीं हो पाए थे। आपको अपने पंख मजबूत करने होंगे। आप किसी भी फील्ड में जाएं, बस सर्वश्रेष्ठ करने का प्रयास करें। आज के लिए सिर्फ इतना ही। अगले अंक में मैं आपके एक और सवाल का जवाब दूंगा। 
यह सवाल है कि आखिर हमारे जीवन में संबंध कितने महत्वपूर्ण होते हैं। इस संबंध में यदि कोई सवाल आपके मन मे हो तो आप इस ब्लॉग पर अपनी टिप्पणी छोड़ सकते हैं।
आपका 
- भीम सिंह सीहरा
प्रदेशाध्यक्ष, मीणा समाज शक्ति संगठन
हमारा ईमेल - meenasamajshaktisangathan@gmail.com
हमारा व्हाटस एप नंबर - 07354791555

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