हमें माफ कर देना हमारी समाज के बच्चों व युवाओं - शक्ति संगठन
“समाज के लोगों से मैैं वादा करता हूं कि हम आपके बच्चों के लिए छात्रावास बनाएंगे। हमारी समाज की बच्चियां पढ़ सकें, इसके लिए माहौल बनाएंगे। हर जिले में छात्रावास का निर्माण होगा। एेसी व्यवस्था बनाएंगे कि समाज के बच्चे प्रतियोगी परीक्षाओं में फाइट करके शासकीय सेवाओं में चयनित होंगे।”
“हमारा संगठन समाज काे आरक्षण दिलाएगा। समाज के लोगों को आदिवासी का दर्जा दिलाएगा। ताकि उनके बच्चे पढ़-लिखकर सरकारी नौकरियां हासिल कर सकें।”
तीसरी किस्त …
साथियों,
ये कुछ वादे हैं, जो अक्सर सामाजिक मंच से किए जाते हैं। मंच पर समाज का संगठन बनाने वाले नेता होते हैं और मंच के सामने होते हैं वे लोग जो समाज में बदलाव होने की उम्मीद के साथ कार्यक्रम में शामिल होने आते हैं। लेकिन दोस्तांे अफसोस के साथ कहना पड़ रहा है कि आपसे किए गए वादे पूरे नहीं हो पाते। जैसा कि आपको बार-बार बताया जाता है कि प्रदेश में हमारे समाज की जनसंख्या करीब 35 से 40 लाख (यह कोई अधिकृत आंकड़ा नहीं, बल्कि राजनीतिक जुमला है) है। मजेदार बात तो यह है कि सन 1992 में भी यह आबादी इतनी ही थी और वर्ष 2016 में भी इतनी ही है। धन्य है जुमले कहने वाले। यानि मप्र की आबादी पांच करोड़ से बढ़कर सात करोड़ हो गई, लेकिन हमारी जनसंख्या थमी हुई है। खैर यह विषय नहीं है अभी। अभी तो विषय है कि मीणा समाज के बच्चों से किए गए वादे पर अमल कितना हुआ। तो बच्चों बता दूं कि आप मप्र के किसी भी संगठन के भरोसे मत रहना, क्योंकि कोई भी यह काम नहीं करने वाला और कर दिया तो समझिएगा कि वाकई वे लोग समाज को ऊंचा उठाने की इच्छा रखते हैं। यहां एक युवक के अनुभव को शेयर करना चाहेंगे। यह युवक है भोपाल शहर में पत्रकारिता करने वाला भीम सिंह मीणा। आज जो आर्टिकल पढ़ रहे हैं वह उन्हीं के सहयोग से ‘शक्ति संगठन’ के इस ब्लॉग पर प्रकाशित हो रहा है। मित्रों भीम सिंह बताते हैं कि वे 25 दिसंबर 2000 में भोपाल आए। उनका पहला जॉब बतौर असिस्टेंट कैमरामेन लग गया था, लेकिन सैलेरी बहुत कम थी। कुछ लोगों ने सुझाव दिया कि हर समाज की धर्मशाला या छात्रावास होता है, इसलिए तुम अपने समाज के लोगों से संपर्क करो। भीम सिंह ने सभी से संपर्क किया तो बताया गया कि हमीदिया रोड पर मीणा भवन की जानकारी मिली। यहां कई चक्कर लगाए, लेकिन अक्सर ताला ही मिलता था। इस दौरान भीम सिंह ने समाज के एक और युवक घनश्याम के साथ रूम शेयर कर लिया। एक रविवार जब इस मीणा भवन में बैठक हो रही थी तो भीम सिंह भी पहुंच गया। वहां कुछ लोगों से बात की कि क्या इस भवन में ठहरने आदि की व्यवस्था हो जाएगी तो जवाब मिला कि ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है। भीम सिंह वापिस लौट आया और मित्र घनश्याम मीणा के साथ रहने लगा। कुछ महीने बाद उसे कार्यालय की तरफ से ही एक कमरा मिल गया तो आगे राह आसान हो गई। लेकिन समाज की तरफ से उसे सहयोग नहीं मिला। फिर भी भीम सिंह समाज का ऋणी है, क्योंकि सहयोग करने वाला युवक घनश्याम समाज का ही था। इसके बाद भीम सिंह लगातार संघर्ष करता रहा और भोपाल शहर में एक मुकाम बनाया। वर्ष 2008 मंे उसी मीणा भवन की एक और बैठक में वह शामिल हुआ। उस दिन भीम सिंह की मुलाकात आईएएस अफसर पीडी मीणा जी से हुई। वे तब पीडब्ल्यूडी विभाग में प्रमुख सचिव थे। बैठक के बाद भीम सिंह ने पीडी साहब से बातचीत कर एक प्रस्ताव रखा कि सर इस मीणा भवन में एक छात्रावास बनाए जाए, जिसमें बाहर से आने वाले लोगों को आश्रय मिल जाए और आप इसमें मदद करें। उन्होंने हामी भर दी। छात्रावास का एक खाका दिमाग में लिए भीम सिंह ने तत्कालीन वरिष्ठों से मुलाकात करके कहा कि एक फोल्डिंग सिस्टम वाला छात्रावास या आश्रय गृह इस हॉल को बना दिया जाए। लेकिन उन महानुभावों को बात समझ में नहंी आई और मामला टल गया।
समय बीतता रहा और इस प्रदेश में 9 नवंबर 2009 को “मीणा समाज शक्ति संगठन” का उदय हुआ। मीणा समाज ‘शक्ति संगठन’ का ध्येय प्रारंभ से ही समाज के छात्र-छात्राओं के लिए काम करना था। इसके लिए ‘शक्ति संगठन’ के युवा तब से काम कर रहे हैं, जब इसका गठन भी नहीं हुआ था। इसी साल समाज को एक पुराने संगठन के नाम से भोपाल में छात्रावास की जमीन मिल गई। इस बात की खुशी “शक्ति संगठन” के युवाओं में उक्त संगठन के लोगों से ज्यादा थी। क्योंकि अब प्रदेश के हर युवा का सपना पूरा होता दिख रहा था। लेकिन “शक्ति संगठन” इसमें भागीदारी नहीं कर सकता था, क्योंकि अलग संगठन बनाने से चंद वरिष्ठजन नाराज थे। वे नहीं चाहते थे कि उनकी मोनोपॉली कोई तोड़े। इन सब बातों को भुलाकर “शक्ति संगठन” ने छात्रावास मिशन में मदद का निर्णय लिया। लेकिन समय बीतता रहा और जिस जगह छात्रावास बनाया जाना था, वहां कोई हलचल नहीं हो रही थी। इस बात से उक्त संगठन में ही कुछ लोग व्यथित थे। उन्होंने “शक्ति संगठन” के पदाधिकारियों से मिलकर सहयोग मांगा। सहयोग देने के पहले “शक्ति संगठन” के सदस्य जमीन के मालिकाना हक वाले संगठन के सभी प्रमुख पदाधिकारियों के पास गए और कहा कि तीन वर्ष हो गए, इस पर निर्माण कर लें, अन्यथा जमीन लैप्स हो जाएगी। यह राजस्व विभाग का नियम है। लेकिन “शक्ति संगठन” के युवाओं को सलाह दी गई कि वे इस पचड़ें में नहीं पड़ें। इस दौरान मिसरोद थाना पुलिस ने अपना बोर्ड उस जमीन पर गाड़ दिया। इस बात की जानकारी भी जमीन के मालिकाना हक वाले संगठन को दी गई, लेकिन उन्होंने ध्यान नहीं दिया। इतना ही उन्होंने शक्ति संगठन को इस मामले से दूर रहने के लिए कह दिया। काफी मान-मनोव्वल के बाद भी जब वे नहीं माने तो “शक्ति संगठन” के युवाओं ने ग्यारह मील पर एक बैठक बुलाई। उस बैठक में बहस हुई और इसी बीच “शक्ति संगठन” के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और वर्तमान कोर कमेटी के चेयरमेन श्री डॉ. जीवन सिंह मीणा ने कहा कि यदि जगह चली गई तो समाज के युवक हमसे भी सवाल पूछ सकते हैं कि जब जमीन शासन वापिस ले रहा था तो “शक्ति संगठन” के लोग क्या कर रहे थे। तब इस एक जुमले ने “शक्ति संगठन” के युवाओं में जोश भर दिया और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष व वर्तमान राष्ट्रीय अध्यक्ष भाई हरि सिंह के नेतृत्व में छात्रावास पर शिलान्यास का काम शुरू हुआ। 12 अगस्त 2012 को क्षेत्रीय पूर्व विधायक श्री जीतेंद्र डागा, “शक्ति संगठन” के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री डॉ. रवि वर्मा, श्री घनश्याम बारवाल, पीआरओ श्री राम सिंह मीणा व समाज के करीब 500 प्रमुख लोगों के साथ मिलकर छात्रावास की जमीन पर भूमि पूजन व शिलान्यास किया गया। इसके बाद सितंबर 2012 में पुन: एक कार्यक्रम निर्धारित किया गया और निर्णय हुआ कि छात्रावास की जमीन को चारों तरफ से कवर कर दिया। इस कार्यक्रम को जबरदस्त समर्थन मिला। कार्यक्रम में वरिष्ठ विधायक मेहरबान सिंह रावत, डॉ. रवि वर्मा, नाथू राम जी मीणा, गब्बु पटेल नसरूल्लागंज, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष हरि सिंह वर्मा, स्वर्गीय डॉ. देशवाली जी, एएसपी अमृत मीना पधारें और शक्ति संगठन की पहल की सराहना की। प्रदेश के करीब 400 वरिष्ठ समाज सेवियों के सामने छात्रावास का काम प्रारंभ किया गया। चूंकि “शक्ति संगठन” ने प्रारंभ से ही तय कर लिया था कि छात्रावास का काम प्रारंभ कराने के बाद मुख्य जिम्मा अन्य लोगों पर सौपेंगे। इसकी जिम्मेदारी झागर के संतोष मीणा को दी गई। चूंकि संतोष मीणा पूर्व में सेवा संगठन के पदाधिकारी थे और उन्होंने शासन से जमीन लेने के लिए खासा संघर्ष किया था। संतोष मीणा के नेतृत्व में काम शुरू हो गया। लेकिन इसके बाद शुरू हुआ परेशान करने का सिलसिला। जमीन के मालिकाना हक वाले संगठन ने मिट्टी चोरी करने का आरोप लगाकर भोपाल के मिसरोद थाने में एक शिकायत दर्ज करवा दी। लेकिन इसका कोई प्रमाण नहीं दिया। तब “शक्ति संगठन” के युवाओं ने पुलिस को जानकारी दी कि मिट्टी चोरी करने का आरोप जिस शख्स पर लगाया गया है वह खुद सैंकड़ों एकड़ जमीन का मालिक है। दूसरी बात जिस बात को चोरी की शक्ल दी जा रही है वह झूठी है। पुलिस के पास कोई प्रमाण नहीं था तो मामला खत्म करना पड़ा। जब असंतोषी लोगों को यहां सफलता नहीं मिली तो उन्होंने अधिवक्ता के माध्यम से नोटिस भेजना शुरू कर दिया। ये नोटिस संतोष मीणा झागर और भीम सिंह सीहरा को भेजे गए। हालांकि इन बकवास नोटिस का किसी ने भी जवाब नहीं दिया। जब इसके बाद भी काम नहीं रुका तो प्रदेश भर में मिट्टी चोरी करने की बात फैलाई गई। यहां इनका विघ्नसंतोषियों को कामयाबी मिलना शुरू हो गई। इनके साथ इन जैसे ही लोगों ने इस बात को और हवा दी। आखिरकार समाज से मिल रहा सहयोग बंद हो गया और मामला विवादित हो गया। इसमें कुछ कमियां उन लोगों की भी रही, जिन्हें “शक्ति संगठन” ने छात्रावास निर्माण का काम सौंपा था। वे भी अपने घर को छोड़कर समाज के पास इस बात को समझाने और मदद मांगने नहीं गए कि हकीकत क्या है? जबकि समाज मदद के लिए तैयार बैठी थी। तब “शक्ति संगठन” ने जमीन के मालिकाना हक वाले संगठन के पदाधिकारियो ंसे कहा कि वे इस पर निर्माण कर लें तो उन्होंने सुर अलापा कि अब आप ही बनाकर बताओ। यानि यह साफ हो गया कि इनका काम छात्रावास खुद बनाना नहीं था, बल्कि काम को रोकना था। आखिरकार एक साल तक संघर्ष करने के बाद कार्टन वाॅल खड़ी हो पाई और छात्रावास का काम रुक गया।
हर सकारात्मक पहल को कर दिया नेस्तानाबूद
इसके बाद “शक्ति संगठन” के पदाधिकारियों ने समाज के एक आयकर अधिकारी श्री घुमारिया जी से संपर्क कर इस मामले में हस्तक्षेप करने को कहा तो उन्हें भी गलत तथ्य बताकर मामले को आगे नहीं बढ़ना दिया। फिर “शक्ति संगठन” के युवाओं ने रामनिवास रावत से पहले व मध्यस्ता करने की अपील की, लेकिन वे भी इन कूप मंडक लोगों को समझाने में नाकाम रहे। फाइनली “शक्ति संगठन” ने छात्रावास मसले से अपने आपको दूर कर लिया और इसीलिए आज इस लेख के माध्यम से समाज के युवाओं से हम माफी मांग रहे हैं।
अस्थायी छात्रावास बनाया तो बाहर करवा दिया छात्रों को
“शक्ति संगठन” के पदाधिकारियों के भीतर युवाओं के लिए काम करने का सपना पनप रहा था तो एक और पहल की गई। राजधानी के एक वरिष्ठ समाज सेवी की मदद से “शक्ति संगठन” ने पहला सामाजिक छात्रावास प्रारंभ किया। उक्त समाज सेवी का नाम यहां इसलिए नहीं बता रहे हैं कि बाद में उन्होंने जो कदम उठाया, उसके पीछे उनकी मजबूरी थी। इन समाजसेवी ने “शक्ति संगठन” को शहर में एक स्थान उपलब्ध कराया, जिसमें बाकी समाज सेवियों की मदद से मार्च 2015 में एक छात्रावास का शुभारंभ किया गया। सहयोगियों में डॉ. रवि वर्मा, ईएनसी सेहरा साहब, श्रीमती आशा हरिसिंह जारेड़ा, जीतेंद्र डोबवाल, लीलेंद्र मारण आदि शामिल हैं। इस काम में “शक्ति संगठन” के एक-एक पदाधिकारी ने जमकर मेहनत की। आखिरकार यहां चार बच्चों ने रहकर पढ़ना शुरू कर दिया। लेकिन वर्ष 2015 में ही इन बच्चों को निकालने का षडयंत्र रचा गया। अचानक से स्थान उपलब्ध कराने वाले समाज सेवी ने कहना शुरू कर दिया कि इन बच्चों को बाहर करो। “शक्ति संगठन” ने काफी कोशिश की कि इन्हें बीच सत्र में कहां ले जाएंगे, लेकिन वे नहीं माने और अाखिरकार बच्चों को वहां से जाना पड़ा। इस बात से “शक्ति संगठन” के पदाधिकारी काफी निराश हुए और एक बार फिर सपना टूटता हुआ दिखाई दिया। इस सपने को बचाने के लिए “शक्ति संगठन” के प्रदेश पदाधिकारियों ने राजधानी में नया छात्रावास शुरू करने का निर्णय लिया। तब संगठन के प्रदेश संगठन महामंत्री राम घुनावत आगे आए और उन्होंने कटारा हिल्स स्थित अपना डुप्लेक्स बच्चों के लिए खाली करवा दिया। तब “शक्ति संगठन” ने समस्त सामान इस डुप्लेक्स में शिफ्ट किया और आज यहां समाज के चार बच्चे रहकर कॉलेज की पढ़ाई कर रहे हैं। “शक्ति संगठन” के राष्ट्रीय संगठन महामंत्री इन बच्चों को पत्रकारिता के गुर सिखा रहे हैं। संभवत: इनमें से एक बच्चा बहुत जल्द आपके बीच पत्रकार बनकर सामने आए। फिर भी “शक्ति संगठन” समाज के उन लाखों बच्चों से माफी मांगता है, जिनके लिए हम कछ नहीं कर पा रहे हैं। इस माफी के सााथ ही “शक्ति संगठन” यह वादा भी करता है कि राजधानी में एक दिन एक शानदार छात्रावास जरूर बनाएंगे, लेकिन तब जमीन भी हमारी होगी और पैसा भी हमारा होगा। न कोई टीका-टिप्पणी होगी और न कोई छलावा होगा। हमारा सपना है कि शिक्षा दें, लेकिन केवल नाम के लिए नहीं, बल्कि प्रैक्टिकल एजुकेशन छात्रों को दी जाए।
क्या होगा “शक्ति संगठन” का एजुकेशनल सेटअप बताएंगे अगली कड़ी में...
तो पढ़ते रहिए “शक्ति संगठन” का यह शानदार ब्लॉग, जिसमें मिलेंगी आपको समाज की असली खबरें और “शक्ति संगठन” की तमाम सूचनाएं।
साथ ही ऐसे कई अनुत्तरित सवालों के जवाब, जो आपके मन में तैरते रहते हैं।
यहां आपको एक बात और बताना चाहेंगे कि यदि आपके मन में कोई भी सवाल हो तो आप बेहिचक jaimeenesh@gmail.com या meenasamajshaktisangathan@gamil.com पर मेल करके पूछ सकते हैं।
धन्यवाद
आपका
मीणा समाज “शक्ति संगठन” - मीणा, मारण और रावत युवाओं की सबसे मजबूत आवाज
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