अच्छा है कुछ तो सीख रहे हैं वे लोग, जो कल तक झूठी जिद के कारण प्रगति से दूर थे।

वे कहते हैं हमसे, 
अभी उमर नहीं है प्यार की। 
नादां हैं वे क्या जाने? 
कब खिली कली बहार की? 
वे कहते हैं हमसे ...
 ये लाइनें यूं ही मुझे याद आ गई। दरअसल रात को एक ग्रुप में हमने देखा कि वे लोग जो हमें कहते थे कि बेटा समाज का काम करना तलवार की धार पर चलने के बराबर है और यह तुम्हारे बस का काम नहीं। वहीं लोग हमें फॉलो करते नजर आए। बड़ी खुशी मिली कि भले ही आज से चंद साल पहले उन्हें हमारे आयडिया नहीं भाते हों, लेकिन अब वे हमारे तौर-तरीकों को अपनाने लगे हैं। ऐसे अनगिनत उदाहरण हैं जब भाई लोग Msss के आयडियाज पर चलते नजर आए। जैसे मिशन-2018 की कॉपी। फिर कार्यक्रम करने के तरीके। पहले पांच साल में कार्यक्रम होते थे, आजकल हर महीनें करने पड़ रहे हैं। जैसे सोशल मीडिया का उपयोग। जैसे वेबसाइट का निर्माण। जैसे व्हाट्स एप का जबरदस्त प्रयोग। जैसे हमारी तर्ज पर अपनी संख्या गिनवाना कि उन्हें भी लोग बड़ी संख्या में देखते-पढ़ते हैं। ब्रांडिंग करना सीख रहे हैं। हमारे द्वारा निर्धारित तारीख पर वे कार्यक्रम करते हैं। जैसे मीनेष सप्ताह या पखवाड़ा मनाना। जैसे युवाओं को जोड़ने की कोशिश करना। ऐसे अनगिनत उदाहरण मिलेंगे आपको, जब हमें वे फॉलो करते नजर आए। अब कोई सोचेगा कि यह Msss के तकलीफ का विषय है  तो मैं बता दूं कि ऐसा बिल्कुल नहीं है। बल्कि हमें तो हर बार तब खुशी मिलती है जब हमारी देखा-देखी कोई कुछ करता है। क्योंकि हमारा तो मकसद ही यही है कि यदि किसी ने भी समाज का झंडा थामा है तो वह घर बैठकर मजे नहीं ले पाए और उसे फील्ड उतरकर काम करना पड़े। और ऐसा ही होगा। हम चैन से नहीं बैठने देंगे। नकली काम नहीं, असली काम करना पड़ेगा।
यकीन नहीं हो तो देख लीजिए कि कल तक जो राष्ट्रीय टीम को फर्जी बताते थे, वे इन दिनों राष्ट्रीय स्तर पर विस्तार करने लगे हैं। ये हुई न बात। अरे भाई हम यही तो चाहते हैं कि प्रतिस्पर्धा करो। दूसरे शब्दों में जलो मत, बराबरी करो। एक और उदाहरण देख लीजिए कि पहले घर-घर से चंदा होता था और आजकल कम लोगों को इसके लिए सताया जाता है। ये सुधार की शुरूआत है। भाई मैं तो बड़ा खुश हूं कि अपना एजेंडा हर तरफ चल रहा है। खुशी की एक बात यह भी है कि जब कोई सोशल मीडिया या गूगल पर मीणा, मारण, रावत समाज से संबंधित कोई बात सर्च करेगा तो देश में मप्र अव्वल होगा। क्योंकि यहां वे हमें फॉलो करके मेहनत जो करने लगे हैं।
आप तो देखते जाइए। आने वाले समय में ये लोग MSss की तर्ज पर हर विधानसभा में सम्मेलन करते नजर आएंगे। इतना ही नहीं कुछ दिनों हो सकता है कि प्रशिक्षण वर्ग भी शुरू कर दें। यकीन मानिए सम्मलेन भी वहीं होंगे जहां MSss करेगा। इतना ही नहीं ये लोग घूमना भी शुरू करेंगे। होना भी चाहिए। आपको याद होगा कि बीते माह की 14 तारीख को भोपाल में दो कार्यक्रम हुए। माननीय मंत्री श्री सूर्यप्रकाश जी ने कहा कि दो कार्यक्रम थे, इसलिए दूसरे में लेट हो गया। तब मैंने मंच से कहा था कि शहर के दो स्थान पर नहीं, बल्कि हर वार्ड में कार्यक्रम होना चाहिए। प्रदेश में एक संगठन नहीं दर्जनों संगठन चलना चाहिए। यही तो विकसित समाज की पहचान है। जहां ज्यादा जागरुक लोग होते हैं वहीं तो हक के लिए लड़ाई होती है। और यदि प्रजा अंधी हो तो फिर एक आंख से काना राजा भी जीवन भर मजे करता रहता है। 
हमारा तो नारा है। न तो चैन से बैठेंगे और न बैठने देंगे और न किसी को फॉलो करेंगे। हमारी सोच युवा है और रहेगी। हम समय के साथ बदल जाएंगे। उदाहरण के लिए MSss ने सात साल में चार अध्यक्ष बदल दिए, क्योंकि समाज को बदलाव चाहिए। नई सोच चाहिए। हम राष्ट्रीय स्तर पर भी संस्कृतियाें का आदान-प्रदान कर रहे हैं। हमने परिवारवाद से समाज को मुक्ति दिलाने का अभियान छेड़ रखा है और MSss में एक परिवार से एक आदमी ही पदाधिकारी रह सकता है। काश यह सब बातें भी वे फॉलो कर लें तो समाज के कई हुनरमंद योग्य युवाओं को अवसर मिल जाएगा।
और दोस्तों यकीन मानिए कुछ अच्छे काम किसी ने किए तो हम भी फॉलो करेंगे। जैसे इंदौर के जय मीनेष बहुउद्देश्यीय संगठन की पोहा-जलेबी पार्टी को हमने फॉलो किया। लेकिन कुछ बातें फॉलो नहीं कर सकते हैं और इसके लिए क्षमा भी मांगते हैं। वे कौन सी बातें हैं यह मैं आपको अगले लेख में बताऊंगा।
धन्यवाद
आपका - 
भीम सिंह सीहरा
प्रदेशाध्यक्ष, मीणा समाज शक्ति संगठन मप्र
Msss Whats App Number - 73547-91555
Msss Email id - Jaimeenesh@gmail.com

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