यह नकली अच्छी है, लेकिन क्या वाकई परिणाम आएगा?
वह विज्ञापन तो आपने देखा ही होगा कि "यह दाग अच्छे हैं"। हम इस विज्ञापन देखकर खुश होते हैं, जबकि अक्सर दाग को अच्छा नहीं माना जाता है। इसी प्रकार नकल भी अच्छी नहीं मानी जाती है, लेकिन एक नकल मुझे बड़ी अच्छी लगी। यह नकल की बड़ों ने छोटो की। अक्सर तो छोटे ही बड़ों की नकल करते आए हैं, लेकिन पहली दफा ऐसा हुआ है कि लगातार बड़े छोटों की नकल कर रहे हैं। फिर भी अच्छी और इस नकल को देखकर मेरी मुस्कान अनायास ही बिखर गई। चलो नकल ही सही, लेकिन कुछ तो कर रहे हैं। अब आप सोच रहे होंगे कि लेखक महोदय नकल-नकल किए जा रहे हैं, लेकिन बता नहीं रहे हैं कि आखिर नकल क्या है? अरे भाई इतने बेसब्रे क्याें होते हैं। चलिए बता ही देता हूं। कल मीना समाज का एक कार्यक्रम हुआ था न? आपमें से कुछ लोगों ने तो देखा ही हाेगा। खूब सारी बातें हुई। कसमें खाई गई। और घोषणा हुई कि मप्र की 18 विधानसभा में समाज के लिए टिकिट लेकर रहेंगे। मिशन-2018 का शुभारंभ भी हुआ। यहां तक कि वर्ष 2018 में एक महासम्मेलन भोपाल के अंदर एक लाख की संख्या में आयोजित करने के एेलान भी हो गया। क्या बात है। मजा आ गया सुनकर। भुजाएं फड़क उठी। मुठि्ठयां भिंच गई। फिर मुझे याद आया कि यह सब तो 25 दिसंबर 2016 को बुधनी विधानसभा में माननीय मंत्री श्री सूर्यप्रकाश मीणा जी ने भी कहा था। हालांकि उन्होंने हकीकत में संख्या मात्र 12 ही बताई थी। यहां संख्या 18 हो गई। इसे हम नकल की श्रेणी में नहीं, बल्कि एक कदम आगे बढ़कर लिया गया फैसला कहेंगे। बहरहाल जो भी यह अभियान ज्यादा दिन तक कायम नहीं रहने वाला है, क्योंकि आदत है पाला छूकर भागने की।
आप सभी का- भीम सिंह सीहरा, प्रदेशाध्यक्ष
मीणा समाज शक्ति संगठन, मप्र
bheemsinghseehra@gmail.com
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