शक्ति संगठन सावित्रीबाई फुले की पुण्यतिथि पर करेगा अपनी तमाम जिला महिला कार्यकारिणी की घोषणा।

- भोपाल में आयोजित प्रांतीय बैठक में लिया गया निर्णय।
भोपाल। *सावित्रीबाई फुले भारत की एक शिक्षिका, समाज सुधारिका थीं।* उन्होंने अपने पति ज्योतिराव गोविंदराव फुले के साथ मिलकर स्त्रियों के अधिकारों एवं शिक्षा के लिए बहुत से कार्य किए। *सावित्रीबाई भारत के प्रथम कन्या विद्यालय में प्रथम महिला शिक्षिका थीं।* 1852 में उन्होंने अछूत बालिकाओं के लिए एक विद्यालय की स्थापना की। ऐसी महान शख्सियत की पुण्यतिथि पर *मीणा समाज शक्ति संगठन* अपनी तमाम जिला कार्यकारियों की घोषणा करेगा। *साथ ही यह भी निर्णय लिया गया कि पूरे विश्व में 8 मार्च को विश्व महिला दिवस मनाया जाता है, लेकिन शक्ति संगठन इस दिन को 10 मार्च सावित्री बाई फूले की पुण्यतिथि पर मनाएगा।* इस संबंध में शक्ति संगठन ने अपने तमाम जिला पदाधिकारियों को सूचना दे दी है।
👉🏻 *इस अवसर पर भोपाल शहर के एडीएम श्री जीपी माली* ने बताया कि सावित्रीबाई पूरे देश की महानायिका हैं। हर बिरादरी और धर्म के लिये उन्होंने काम किया। जब सावित्रीबाई कन्याओं को पढ़ाने के लिए जाती थीं तो रास्ते में लोग उन पर गंदगी, कीचड़, गोबर, विष्ठा तक फैंका करते थे। सावित्रीबाई एक साड़ी अपने थैले में लेकर चलती थीं और स्कूल पहुँच कर गंदी कर दी गई साड़ी बदल लेती थीं। अपने पथ पर चलते रहने की प्रेरणा बहुत अच्छे से देती हैं।
👉🏻 *बैठक में बतौर मुख्य अतिथि पधारे IPS श्री कंचन लाल जी मीणा रिटायर्ड एडीजीपी ने बताया कि* सावित्री बाई का जीवन काफी मुश्किलों भरा रहा। वे स्कूल जाती थीं, तो विरोधी लोग पत्थर मारते थे। उन पर गंदगी फेंक देते थे। आज से 160 साल पहले बालिकाओं के लिये जब स्कूल खोलना पाप का काम माना जाता था कितनी सामाजिक मुश्किलों से खोला गया होगा देश में एक अकेला बालिका विद्यालय।
👉🏻 *बैठक की अध्यक्षता कर रहे संगठन के राष्ट्रीय युवा अध्यक्ष भाई हरि सिंह मीणा ने बताया* कि इस निर्णय के पीछे सावित्रीबाई फुले के वे महान कार्य हैं, जिनसे सही मायनों में समाज सुधार हुआ। उन्होंने बताया कि सावित्री बाई का जन्म 3 जनवरी 1831 को हुआ था। इनके पिता का नाम खन्दोजी नेवसे और माता का नाम लक्ष्मी था। सावित्रीबाई फुले का विवाह 1840 में ज्योतिबा फुले से हुआ था। सावित्रीबाई फुले भारत के पहले बालिका विद्यालय की पहली प्रिंसिपल और पहले किसान स्कूल की संस्थापक थीं। सावित्रीबाई के संरक्षक, गुरु और समर्थक उनके‌ पति ज्योतिराव फूले थे। सावित्रीबाई ने अपने जीवन को एक मिशन की तरह से जीया जिसका उद्देश्य था विधवा विवाह करवाना, छुआछूत मिटाना, महिलाओं की मुक्ति और दलित व पिछड़ी महिलाओं को शिक्षित बनाना।
👉🏻 *कार्यक्रम का संचालन कर रहे प्रदेश अध्यक्ष भाई भीम सिंह सीहरा ने कहा कि* 1848 में पुणे में अपने पति के साथ मिलकर विभिन्न जातियों की नौ छात्राओं के साथ उन्होंने एक विद्यालय की स्थापना की। एक वर्ष में सावित्रीबाई और महात्मा फुले पाँच नये विद्यालय खोलने में सफल हुए। तत्कालीन सरकार ने इन्हे सम्मानित भी किया। एक महिला प्रिंसिपल के लिये सन् 1848 में बालिका विद्यालय चलाना कितना मुश्किल रहा होगा, इसकी कल्पना शायद आज भी नहीं की जा सकती। लड़कियों की शिक्षा पर उस समय सामाजिक पाबंदी थी। सावित्रीबाई फुले उस दौर में न सिर्फ खुद पढ़ीं, बल्कि दूसरी लड़कियों के पढ़ने का भी बंदोबस्त किया, वह भी पुणे जैसे शहर में।
👉🏻 *इस मौके पर शक्ति संगठन के प्रदेश संगठन महामंत्री राम घुनावत ने बताया कि* 10 मार्च 1897 को प्लेग के कारण सावित्रीबाई फुले का निधन हो गया। प्लेग महामारी में सावित्रीबाई प्लेग के मरीज़ों की सेवा करती थीं। एक प्लेग के छूत से प्रभावित बच्चे की सेवा करने के कारण इनको भी छूत लग गया। और इसी कारण से उनकी मृत्यु हुई।
इसलिए शक्ति संगठन ने अपने 22 जिलों के पदाधिकारियों के साथ मिलकर सामूहिक रूप से निर्णय लिया कि 10 मार्च को हर साल महिला दिवस मनाया जाएगा। साथ ही इस वर्ष 10 मार्च को शक्ति संगठन अपनी तमाम जिला महिला कार्य कार्यों की घोषणा करेगा।
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*दिनेश कुमार टाटू (दीनू मीना)*
प्रदेश प्रवक्ता एवं प्रदेश कोषाध्यक्ष मीणा समाज शक्ति संगठन, मप्र
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