खुद से सवाल करिए कि आज मैंने सोशल मीडिया से क्या पाया? क्या खोया? पूरे दिन का रिजल्ट मांगिए खुद से…

✒️ *भीम सिंह सीहरा की कलम से…*
      _दोस्तों जब कोई दोस्त, परिजन या रिश्तेदार कहते हैं कि फ्री हो क्या, एक काम से कहीं चलना था तो अक्सर आपका हमारा जवाब होता है कि मैं जरा व्यस्त हूं कल चलेंगे या शाम को चलते हैं। हमारा लगभग सभी का यही हाल होता है। कई सारे महत्वपूर्ण काम इसलिए हम टाल देते हैं कि हमारे पास समय नहीं है। अब दूसरी तरफ देखिए आप हर दिन सोशल मीडिया पर औसतन 2 से 3 घंटे का समय तो देते ही होंगे। व्हाट्सएप के मैसेज देखने में, मैसेज करने में, फेसबुक की रील्स, इंस्टाग्राम रील देखने और कभी कभार गलती से ट्विटर पर भी चले ही जाते होंगे। लेकिन यहां कभी आपको नहीं लगेगा कि समय नहीं है तो हमें सोशल मीडिया पर वक्त नहीं देना चाहिए। हम तर्क देंगे कि चलते फिरते का काम है, इसलिए इसमें काहे कि वक्त की बर्बादी। लेकिन ऐसा नहीं है।_
      असल में आप जब एक बार सोशल मीडिया से इंगेज होते हैं तो फिर उसमें घुसते जाते हैं और समय का पता नहीं चलता है। हालांकि यह ज्ञान आप कई बार सुन चुके हैं और महीने दो महीने में हर कोई महसूस करता है कि यार बहुत सोशल मीडिया में चिपक गए। इससे छुटकारा मिलना चाहिए। पर ऐसा होता नहीं है। मैं भी यही कहुंगा कि इस बारे में सोचना छोड़ दीजिए, क्योंकि ऐसा न आप कर सकते हो न ही मैं कर पाया हूं। लेकिन एक काम है जो मैं भी कर रहा हूं और आप भी कर सकते हैं।
      _आज से आप अपने सोशल मीडिया टाइम को लेकर खुद से सवाल करना शुरू कर दीजिए। पूछिए कि आज मैंने जितना वक्त दिया, उसमें क्या किया। व्हाटस एप, फेसबुक, इंस्टाग्राम, टवीटर और दूसरे प्लेटफार्म का इंडिविजुअली सवाल करिए। फिर कैलकुलेशन करिए की आपके सोशल मीडिया टाइम की बर्बादी हुई है या आपने उससे कुछ हासिल किया है। डे टू डे जब आप ऐसा करेंगे तो आपको एक क्लियरटी आ जाएगी कि हमको सोशल मीडिया का उपयोग क्या करना है? साथ ही यह भी समझ में आएगा कि हमको समय कितना देना है?_ 
      उदाहरण के लिए यदि मैं अपनी बात करूं तो मेरा बहुत क्लियर है कि मुझे रील्स देखने से बचना है। व्हाट्सएप पर यदि जाना है तो सिर्फ यह देखना है कि आज बड़ी खबर क्या है यानी मेरे काम से जुड़ी हुई बातों पर फोकस। आज मैंने व्हाट्सएप पर कितने नए मेंबर्स को जोड़ा है और उनको मैं क्या टारगेट दे पा रहा हूं। जिस तरह से खाली दिमाग शैतान का घर होता है उसी तरह से व्हाट्सएप पर बिना किसी उद्देश्य के जमा की गई भीड़ भी अपने हिसाब से काम करने लग जाती है। फिर आप उन्हें दोष मत दीजिए कि कौन क्या लिख रहा है और कौन क्या कर रहा है?
     _आपका व्यवहार एक लीडर की तरह होना चाहिए। आपको पता होना कि चाहिए, जिनको जोड़ा है या जो जुड़े हैं, उनका और आपका मकसद क्या है? पूरे दिन में यदि हम अपने संदेशों को नीचे तक पहुंचा पाते हैं तो यह आपका व्हाट्सएप का उपयोग हुआ। पूरे दिन में हम किसी व्यक्ति से सोशल मीडिया पर चैटिंग करके उसको अपना बना सकते हैं तो यह हमारा व्हाट्सएप पर सदुपयोग हुआ। यदि हम अपने फेसबुक के जरिए अपने मित्रों को जन्मदिन की बधाई दे सकते हैं और उनकी खुशियों में शामिल हो सकते हैं तो यह फेसबुक का सदुपयोग हुआ। यदि ट्विटर पर जाकर हम देश में चल रहे मुद्दों पर अपनी राय रख सकते हैं तो यह है हमारा ट्विटर का सदुपयोग हुआ।_
      _सीधे तौर पर आपकी भागीदारी लोगों को नजर आनी चाहिए। ग्रुप पर लिखना अपनी राय व्यक्त करना गलत पोस्ट पर टोका टाकी करना कमेंट करना अच्छे लोगों को आईडेंटिफाई करना। अपने समान विचार के लोगों से संपर्क बनाना। यह आपकी उच्च सोशल मीडिया अवस्था है। तो दोस्तों उम्मीद है कि मेरी बात आपको समझ आई होगी और आप अपने उद्देश्यों को ध्यान में रखकर ही सोशल मीडिया का उपयोग करिए और हर रात में खुद से सवाल करिए कि आज मैंने क्या खोया क्या पाया आज मेरा क्या योगदान रहा आज मैंने कितनी जगह अपनी बात लिखी मेरा देश के मुद्दों में कितना ध्यान है और कितनी भागीदारी है मुझे सोशल मीडिया उपयोग कर रहा है या मैं उसको उपयोग कर रहा हूं।_

धन्यवाद
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